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सेक्स के दौरान केवल महिलाओं के साथ होने वाली है ये परेशानी

Posted at: Aug 4 , 2017 by Dilersamachar 12100

दिलेर समाचार, फ़ीमेल ऑर्गेज़्म यानी सेक्स के दौरान एक स्त्री के चरम सुख की बात. आपने इसके बारे में पत्र-पत्रिकाओं में ही ज़्यादा सुना-पढ़ा होगा, वैज्ञानिकों के हवाले से इस पर बहुत कम बात हुई है.

लेकिन अब वैज्ञानिकों ने ऑर्गेज़्म, इसकी जटिलता और इसकी दिक्कतों पर पहले की तुलना में ज़्यादा शोध करना शुरू किया है.

वैज्ञानिक भी मान रहे हैं कि महिलाओं के चरम सुख को लेकर जो दिक्क्तें हैं, उनमें सबसे बड़ी ये है कि पुरुषों की देह को लेकर जितने अध्ययन हुए, उतने महिला देह पर नहीं हुए हैं.

केलिस्टा विल्सन सैन फ्रांसिस्को की एक फैशन स्टाइलिस्ट जो बताती है.

विल्सन कहती हैं, "मुझे लगता है जैसे मेरी टांगों के बीच कुछ जल रहा है. कुछ खुजली जैसी मची रहती है. और फिर सेक्स संबंध बनाना हो या टेम्पून लगाने की बात हो, उस वक्त ऐसा लगता है मानो कोई भीतर खंजर डाल रहा हो. बहुत दर्द होता है."

टेम्पून एक किस्म का सेनेटरी पैड होता है जिसे पीरियड के वक्त इस्तेमाल किया जाता है.

केल्सिटा को ये परेशानी पहली बार तब हुई जब वो 12 साल की थीं. उन्होंने टेम्पून लगाने की कोशिश की तो उनकी योनि में भयानक दर्द हुआ.

वो इस दिक्कत को झेलती रहीं और आखिरकार तब डॉक्टर के पास पहुँचीं जब वो 20 साल की हो गईं थीं.

केलिस्टा बताती हैं, "डॉक्टर भी परेशान हो गई. उन्होंने कहा कि तुम तो बिलकुल सामान्य दिखती हो. मुझे तो लगता है कि ये सब तुम्हारे दिमाग का फितूर है. तुम्हें किसी थेरेपिस्ट से मिलना चाहिए."

फिर उनकी परेशानी का हल निकलने में 10 साल और निकल गए.

इस पूरे वक्त के दौरान यौन अंगों से जुड़ी दिक्कतों का उनके रोजमर्रा के जीवन पर काफ़ी असर पड़ा. उन्हें न केवल अवसाद से जूझना पड़ा बल्कि उनके संबंध भी टूटे.

कई डॉक्टरों से मिलने के बाद आख़िर एक दिन वॉशिंगटन डीसी में उनकी मुलाक़ात डॉक्टर एंड्र्यू गोल्डस्टेन से हुई. वे यहीं वुल्वोवेजाइनल डिसऑर्डर सेंटर में निदेशक के पद पर थे.

गोल्डस्टेन ने बताया कि डॉक्टर के मुताबिक़ उनकी योनि के मुख पर मौजूद नसें काफ़ी संवेदनशील हैं. सामान्य से 30 गुना अधिक. यही कारण है कि जब भी उनकी योनि किसी वजह से छुई जाती है, वहां जलन होने लगती है.

डॉक्टर ने उनके योनि के मुख की त्वचा गोलाकार हिस्से में हटा दी, जिससे उनकी ये परेशानी दूर हो गई.

पहली बार केलिस्टा विल्सन ने बिना किसी तकलीफ के सेक्स संबंध बनाया.

केलिस्टा की इस परेशानी को कनजेनिटल न्यूरोप्रोलिफरेटिव वेस्टिबुलोनिया कहा जाता हैं. ये आम समस्या नहीं है.

न्यूयॉर्क की स्त्री रोगों की विशेषज्ञ डॉक्टर डेबरा कोअडी ने जब इस विषय में छानबीन शुरू की तो पाया कि पुरुष जननांगों से जुड़ी देखने, सुनने, समझने की चीजें बड़े पैमाने पर उपलब्ध हैं. लेकिन स्त्री जननांगों पर घनघोर चुप्पी है.

उन्होंने खुद पहल करते हुए कई विशेषज्ञ सर्जनों के साथ मिलकर एक टीम बनाई, और जांच-परख में जुट गईं. कई दिलचस्प बातें सामने आईं.

उन्होंने पाया कि पेल्विक नर्वस सिस्टम यानी पेड़ू तंत्रिका तंत्र से जुड़ी परेशानी हर महिला में एकदम अलग-अलग होती है.

कोअडी बताती हैं, "योनि और भीतरी जननांगों से जुड़े तंत्रिका तंत्र यानी प्यूडेनल नर्व सिस्टम की बात करें तो किसी भी दो महिला में ये एक जैसा नहीं होता."

प्यूडेनल नसें महिलाओं को यौन चरम सुख देने में सबसे अहम होती हैं. यही वो सिस्टम है जो जननांगों को स्पर्श करने, दबाने और यौन क्रिया करने से जुड़े आवेगों को दिमाग़ तक पहुंचाता है.

कोअडी ने शोध में पाया कि महिला जननांगों के पांच अलग-अलग हिस्से होते हैं. इस हिस्से में जो नसें पाई जाती हैं वो अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग तरीके से संवेदनशील होती हैं.

ये पांच हिस्से हैं- क्लिटॉरिस (भगशिश्न), योनि मुख, सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा), गुदा और पेरिनम (योनिमुख के बीच का हिस्सा).

कोअडी बताती हैं, "क्यों किसी महिला का क्लिटॉरिस ज्यादा संवेदनशील होता है, किसी को बस यौन मुख के पास अधिक आवेग महसूस होता है, तो किसी महिला को किसी दूसरे हिस्से में ज्यादा फीलिंग आती है? इन सारे सवालों के जवाब यहीं मौजूद हैं."

महिलाओं की कोई भी पत्रिका इन अंगों और इनसे जुड़ी संवेदनशीलता के बारे में पूरी और सही जानकारी नहीं देती. यही वजह है कि जब सेक्स सलाह की बात आती है तो ये पत्रिकाएं आमतौर पर किसी काम की नहीं होती.

महिलाओं की कामोत्तेजना से जुड़े एक दूसरे मिथक का पता भी लगा. ऑस्टिन के टेक्सॉस यूनिवर्सिटी में साइकोफिजियोलॉजी लैब में काम करते हुए इसके बारे में पता चला.

ये कोई आम प्रयोगशाला नहीं थी बल्कि उनके प्रयोग का तरीका एकदम अलग है. जो लोग इसमें भाग लेते हैं, उनके बैठने के लिए शोख महरून रंग का सोफा है, सामने चौड़ी स्क्रीन का एक टीवी और स्क्रीन पर सेक्स करते लोगों के वीडियो.

डॉक्टर सिंडी मेस्टन बगल के कमरे में होती हैं, और वहां से कमरे में मौजूद महिलाओं के दिल की धड़कनों, उनके जननांगों में खून के बहने की रफ्तार पर नज़र रखती हैं.

इसके लिए वजाइनल फोटोप्लेथिस्मोग्राफ की मदद ली गई. यह आकार में टेम्पून की तरह का, और दो इंच लंबा होता है. इसे योनि के भीतर डाल दिया जाता है. इसे जब चलाया जाता है तो इसमें से रोशनी निकलती है.

रोशनी के धीमे होने, तेज होने से पता चलता है कि योनि के भीतर मौजूद नसों में कब कितना खून आ-जा रहा है. इससे ये मालूम होता है कि वो महिला कब और कितनी कामोत्तेजना महसूस कर रही है.

इस प्रयोग के बाद जो बातें सामने आईं वे आम धारणा के विपरीत थीं.

सिंडी मेस्टन ने बताया, "आमतौर पर हमें कहा जाता है कि सेक्स से पहले खुद को शांत करना चाहिए. इसके लिए आप गहरी सांस लें-छोड़ें, गुनगुने पानी से नहाएं, मीठा संगीत सुनें. लेकिन मेरा शोध इसके उलट बातें कहता है."

मेस्टन कहती हैं, "मैंने जो प्रयोग किया उसके मुताबिक सेक्स के पहले आपको अपने पार्टनर के साथ एक लंबी दौड़ लगानी चाहिए. या फिर कोई डरावनी फ़िल्म देखिए, एक साथ रॉलरकोस्टर की सवारी कीजिए, कॉमेडी फ़िल्म या शो के मजे लीजिए."

मेस्टन का प्रयोग ये समझने में मदद करता है कि यदि सेक्स से पहले महिलाओं में पेल्विक नर्वस सिस्टम सक्रिय कर दिया जाए तो इससे उन्हें सेक्स के दौरान चरमसुख पहले की तुलना में जल्दी और गहराई से महसूस होता है.

लेकिन इन सबका असर पुरुषों में विपरीत होता है.

एंड्रयू गोल्डस्टेन का कहना है कि उन्हें किशोरावस्था से ही ये पता है कि स्त्री देह और उसकी सेक्सुवलिटी को बिलकुल नहीं समझा गया है.

गोल्डस्टेन कहते हैं, "मैं स्त्री रोग और प्रसूति विभाग में 20,000 घंटों तक रहा. मैंने वहां 45 मिनट का लेक्चर सुना. लेकिन उस 45 मिनट में जो भी कहा गया वो सब पूरी तरह गलत था."

उनके मुताबिक़, "महिलाओं की यौन समस्या को पुरुषों की यौन समस्या के मुकाबले कम तरजीह दी जाती है. ये साफतौर पर दोहरा रवैया है. दुर्भाग्य से इस बात को सभी मानते हैं कि पुरुषों में उत्तेजना से जुड़ी या इरेक्शन की समस्या होती है, उनमें यौन रोग, यौन समस्याएं होती हैं. जबकि यदि महिलाओं में भी ठीक यही समस्या हो तो उन्हें लांछन मिलते हैं. कई बार ये कहा जाता है कि असल में ऐसा है नहीं, ये सब तुम्हारे दिमाग की उपज है."

मेटसन बताती हैं कि यदि आप महिलाओं की कामोत्तेजना पर कोई शोध कर रहे हैं तो आपको इसके लिए पैसे जुटाने में बहुत मुश्किल आएगी. बात जब महिलाओं के चरम सुख की हो तो समाज इस समस्या पर कोई तवज्जो नहीं देता.

यही नहीं, मेटसन के मुताबिक़ इस क्षेत्र में किसी भी चिकित्सीय शोध को लेकर भी एकदम विपरीत माहौल है.

वे कहती हैं, "यदि आप वैवाहिक जीवन के भीतर यौन संतुष्टि की बात करती हैं तब तो ठीक है. लेकिन यदि आपने महिलाओं के चरम सुख या कामोत्तेजना की बात की तो आपको इसके बारे में किसी तरह की छानबीन के लिए कोई धन नहीं मिलेगा."

एक बार उन्हें कहीं लेक्चर देने के लिए बुलाया गया. लेकिन जैसे ही पता चला कि विषय महिलाओं की सेक्सुवलिटी, उनको होने वाले सेक्स सुख का है, तो तुरंत उनको टाल दिया गया.

केलिस्टा विल्सन अपनी मुश्किलों के बारे में बताती हैं और पूछती हैं, "हम सब इसी योनि से जन्मे हैं. 

ये भी पढ़े: अगर शाम की पूजा में बजाई घंटी तो पछताएंगे आप

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