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गूगल ने किया ऐसे किया सम्मानित होमी व्यारावाला

Posted at: Dec 9 , 2017 by Dilersamachar 9821

दिलेर समाचार, नई दिल्ली: देश की पहली महिला फोटोग्राफर होमी व्यारावाला का आज 104वां जन्मदिन है. इस मौके पर गूगल ने उनको खास अंदाज में याद किया है. गूगल ने होमी व्यारावाला की डूडल बनाकर उनको श्रद्धांजलि दी है. गूगल ने उन्हें ‘फर्स्ट लेडी ऑफ द लेंस’ के तौर पर सम्मानित किया है होमी व्यारवाला का जन्म 13 दिसम्बर 1913 को नवसारी गुजरात में मध्य वर्ग पारसी परिवार में होमई हाथीराम के रूप में हुआ. उनके पिता पारसी उर्दू थियेटर में अभिनेता थे. उनका पालन पोषण मुंबई में हुआ और उन्होंने पहले पहल फोटोग्राफी अपने दोस्त मानेकशां व्यारवाला से और बाद में जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से सीखी. गुजरात के नवसारी में एक पारसी मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी व्यारावाला ने 1930 में फोटोग्राफी के क्षेत्र में प्रवेश किया था. उस वक्त कैमरा ही अपने आप में एक आश्चर्यजनक चीज थी. उसके बाद भी एक महिला का इस क्षेत्र में प्रवेश करना बहुत अचरज की बात थी.


होमी व्यारावाला ने 1970 में पेशेवर फोटोग्राफी छोड़ दी थी. वर्ष 2011 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था. उनकी पहली तस्‍वीर बोम्‍बे क्रोनिकल में प्रकाशित हुई जिसमें उन्‍हें प्रत्‍येक छायाचित्र के लिए एक रुपया प्राप्‍त हुआ. वह अपने पति के साथ दिल्‍ली आ गईं और ब्रिटिश सूचना सेवाओं के कर्मचारी के रूप में स्‍वतंत्रता के दौरान के फोटो लिए. द्वितीय विश्वयुद्ध के हमले के बाद, उन्‍होंने इलेस्‍ट्रेटिड वीकली ऑफ इंडिया मैगजीन के लिए कार्य करना शुरू किया, जो 1970 तक चला. इसमें इनकी श्‍वेत-श्‍याम छायाचित्र हुए. उनके कई फोटोग्राफ टाईम, लाईफ, दि ब्‍लेक स्‍टार तथा कई अन्‍य अन्‍तरराष्‍ट्रीय प्रकाशनों में फोटो-कहानियों के रूप में प्रकाशित हुए.


उनके कार्य एवं जीवन के बारे में सबीना गडिहोक ने अपनी पुस्‍तक इन्डिया इन फोकस-कैमरा क्रोनिकल ऑफ होमेएव्‍यारवाला में बेहतर ढंग से उल्‍लेख किया है. फोटोग्राफरों से किए गए साक्षात्‍कारों के आधार पर उनकी फोटो-आत्‍मकथा तैयार की गई है. सिगरेट पीते हुए जवाहरलाल नेहरू और साथ ही भारत में तत्कालीन ब्रिटिश उच्चायुक्त की पत्नी सुश्री सिमोन की मदद करते हुए एक तस्वीर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की एक अलग ही छवि दर्शाती है. यह तस्वीर भारत की पहली तथा लंबे समय तक भारत की एकमात्र महिला फोटो पत्रकार द्वारा हो गई.



उन्होंने अपनी तस्वीरों के माध्यम से उन्होंने परिवर्तशील राष्ट्र के सामाजिक तथा राजनैतिक जीवन को दर्शाया. इनमें नेहरू से माउन्टवेटन व दलाई लामा का भारत में प्रवेश, उनकी ली गई तस्वीरे विशेष निशान छोड़ गए. उन्होंने 16 अगस्त 1947 को लाल किले पर पहली बार फहराये गये झंडे, भारत से लॉर्ड माऊन्टबेन्टन के प्रस्थान, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू तथा लाल बहादुर शास्त्री की अंतिम यात्रा के भी छायाचित्र लिए. 

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