दिलेर समाचार, शुभांगी। लॉकडाउन प्रधानंत्री द्वारा ‘’जान है तो जहान है’’ का स्लोगन शुरु किया गया था। और दूसरे लॉकडाउन में “जान भी और जहान भी” का स्लोगन शुरु हुआ. प्रधानमंत्री की मंशा लोगों की जान बचाने के लिए अधिक थी. पुरानी कहावत “जान बची तो लाखों पाए” एक सीधी साधी कहावत है. और सब कुछ तो हम बाद में भी पा लेंगे . पहले लोगों की जान बचनी चाहिए.
विदेशों में देखें तो भारत कोविड-19 के प्रकोप तथा मरने वालों की सख्या के हिसाब से बहुत अच्छी स्थिति में है. अर्थात इसमें हम सफल हुए है.
प्रवासियों के पलायन के कारण आज अर्थव्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने में दिक्कत आएगी. क्योंकि बहुत-सी जगह तो जैसे दिल्ली, मुबंई चेन्नई और कोलकाता की तो ये प्रवासी मजदूर रीढ़ थे. अर्थात इनके बिना किसी काम की कल्पना करना बेमानी है. चाहे वह उद्योग हो, दुकानों पर काम करने वाले हो या अन्य हो. इनका काम सुचारु रूप से शायद ही चल पाए.
मैं तो यही कहना चाहूंगी कि प्रवासियों के पलायन के लिए उद्योग मालिक दुकान मालिक ही जिम्मेदार है. क्योंकि इस मुसीबत के वक्त इन लोगों को अपने इन कर्मचारियों को खाना व वेतन तक नहीं दिया गया, जबकि वेतन देकर इन्हें रोका जा सकता था. इससे इन्हे लगता इनका रोजगार सुरक्षित है परन्तु ऐसा नहीं हो सका, जिससे प्रवासियों के मन में यह डर बन गया कि इस समय हमारा कोई नहीं है. सरकार खाना ही तो दे सकती है. परन्तु जीने की आकांक्षा नहीं. जिससे ये लोग अपने घरो को जाने के लिए उतावले हो गए. इन्हे बस यही समझ में आया कि मुझे अपने घर जाना है. किसी भी तरह से पैदल, साईकिल से , ट्रक से, बस से, रेलवे, बस जाना ही है.
शायद अब ये प्रवासी मजदूर कभी वापस आए. कम खा लेंगे पर अपना वतन (गांव) नहीं छोड़ेंगे. राज्य सरकार चाहे तो इस मौके का लाभ उठा सकती है. बड़े उद्योग के लिए छोटे व हस्त उद्योग रीढ़ के समान होते हैं. आसपास के बड़े उद्योगों के छोटे-छोटे कल पूर्जों को इन मजदूरों से बनवाया जा सकता है. पन्द्रह या बीस दिन ट्रेनिंग देकर इन लोगों को पारगंत किया जा सकता है.
जहां-जहां से ये मजदूर गए है वहां की अर्थ व्वस्था के बारे में तो सोचा नहीं जा सकता क्योंकि इन्होंने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है. परन्तु उन राज्यों व गांवो में स्वरोजगार के अवसर पैदा करके इन लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है तथा साथ ही राज्य अपनी आमदनी बढ़ा सकता है. क्योंकि वस्तुओं की मांग इन स्थानों पर बढ़ेंगी तो पूर्ति करने के लिए उत्पादन करना पड़ेगा. उत्पादन होगा तो सरकार को टैक्स के रुप में धन को प्राप्ति होगी. इसलिए इस अवसर को सरकार को खोना नहीं चाहिए.
ये भी पढ़े: क्या चीनी लैब ने बना दी है कोरोना का अंत करने वाली दवा?
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar