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नेपाली जनता भी भारत के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने की इच्छुकः केपीएस ओली

Posted at: Apr 8 , 2018 by Dilersamachar 9714

दिलेर समाचार, रुद्रपुर। नेपाल के प्रधानमंत्री केपीएस ओली ने मानद उपाधि मिलने के बाद दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दो तिहाई जनता नेपाल की कृषि पर आधारित है, लेकिन किसानों की हालत बहुत सही नहीं है। यहां आकर अवसर मिला देखने का कि कैसे पंतनगर विश्वविद्यालय कृषि में क्रांति के लिए अपना योगदान दे रहा है। मैं प्रभावित हूं इस अवसर से जो मुझे यहां आकर मिला है। शोध और अनुसंधान को नजदीक से सीखने का काम मिला।

इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली रविवार सुबह 11:45 बजे पंतनगर एयरपोर्ट पर उतरे। राज्यपाल केके पॉल व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपीएस ओली का बुके देकर स्वागत किया। परंपरागत कुमाऊं के रीति रिवाज के तहत प्रधानमंत्री केपीएस ओली का स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री के सम्मान में कलाकारों ने छोलिया नृत्य एयरपोर्ट पर प्रस्तुत किया। इसके बाद उनका काफिला पंतनगर विवि के लिए रवाना हो गया।

यहां आयोजित कार्यक्रम नेपाल के पीएम ओली ने कहा कि देवभूमि में हर्बल की पुराने संबंधों को नई ताकत देने का समय है। नेपाल में बीते वर्षों में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की, लेकिन उसकी हालत कुछ अच्छी नहीं है। पंतनगर विश्वविद्याल के साथ मिल कर नेपाल कृषि विश्वविद्यालय नए आयाम स्थापित करेगा। जो सम्मान उनकों दिया गया वह उनके लिए नई प्रेरणा का काम करेगा।

दोनों देशों के बीच संबंधों को और मधुर बनाने का काम मिल कर किया जाएगा। भारत ने जो पहल की है, नेपाल उसमे अपना पूरा योगदान देगा। दोनों देशों के मिल कर प्रयास का लाभ कृषि क्षेत्र के विकास में नई भूमिका निभाएगा। पर्यटन को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। हमारी धार्मिक आस्थाएं भी एक दूसरे के साथ है। नेपाली जनता भी भारत के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने की इच्छुक है। साथ ही आद्योगिक छेत्र में भी विकास की ओर संभावनाएं है पर मुख्यत जैविक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है।

उत्तराखंड और नेपाल की भौगोलिक परिस्थितियां है समान - 

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा उत्तराखंड और नेपाल की भौगोलिक परिस्थितिया समान है। जिसके चलते दोनों के बीच पशुपालन, कृषि के छेत्र में मिल कर कार्य करने की अपार संभावनाएं है। गोबिंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय कृषि में शोध को नई ऊंचाइयां देने में लगा है। ये उत्तराखंड का सौभाग्य है कि विश्व मे अपने नाम की छाप छोड़ने वाला भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय यहां काम कर रहा है। पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक 2022 में किसानों की आमदनी को दोगुना करने की दिशा में कार्य कर रहा है। इसके लिए प्रदेश की चार भौगोलिक परिस्थितिओ को ध्यान रखते हुए अलग अलग योजनाएं तैयार की है। जिसमे कृषि, बागवानी, पशुपालन संबंधित विषयों पर मैइक्रोप्लानिंग तैयार कर रहे है।

किसान के विकास के लिए नई तकनीक पर काम करने की जरूरत है -

राज्यपाल केके पॉल ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि नेपाल और उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां समान है। हमारी समानता के चलते लोगों के जीवन में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाते हुए पर्यावरण संरक्षण व प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए मिल कर काम की जरूरत है। कहा नेपाल व भारत की कृषि चुनौतियों की समानता के चलते मिलकर कामकर उन चुनौती पर विजय पा सकते हैं। कहा पंतनगर विश्वविद्यालय भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना 1961 में की गई। जिसने हरित क्रांति के माध्यम से न केवल भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि देश की जनता को खाद्य सुरक्षा का एहसास दिलाते हुए खाद्यान्न निर्यात में अहम भूमिका निभाई।

भारत की तरह नेपाल की अर्थव्यवस्था ओर रोजगार में अधिकांश जनता का कृषि में योगदान है। पिछले कुछ वर्षों से ये देखा जा रहा है कि एशियाई देशों में कृषि से आमदनी पर्याप्त नही है। किसान के विकास के लिए नई तकनीक पर काम करने की जरूरत है। इसके लिए नए कृषि मॉड्यूल पर काम कर आमदनी बढ़ाने की जरूरत है।

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