अमित कु. अम्बष्ट ‘आमिली’
दिलेर समाचार, सिने तारिका श्रीदेवी के दुबई में अचानक असामयिक निधन के समाचार से न सिर्फ बालीवुड अपितु समस्त देश स्तब्ध रह गया। आधी रात को ही यह समाचार इलेक्ट्रानिक मीडिया और सोशल मीडिया पर जंगल में आग की तरह फैल गई। अगले सुबह जिस किसी ने भी अपना मोबाइल या टेलीविजन खोला, इस दुखद समाचार को पाकर व्यथित हो उठा । हालांकि पहली बार तो इसपर यकीन करना मुश्किल था लेकिन सच तो आखिर सच है और परमात्मा के निर्णय के सामने किसकी चलती है। हर किसी को सर झुकाना ही पड़ता है।
पहली जानकारी आई कि उनकी मृत्यु हृदय आघात से हुई है लेकिन अगले ही दिन उनकी पोस्टमार्टम कीे रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया जिसमें उनकी मृत्यु का कारण बाथ टब में डूबकर मरने को बताया गया। मामला दुबई के सरकारी वकील को सौंप दिया गया और तत्काल परिवार को पार्थिव शरीर नहीं सौंपा गया। कई तरह के कयास लगाये जाने लगे लेकिन अंततोगत्वा उनके पति बोनी कपूर को क्लीन चिट देकर पार्थिव शरीर सौंप दिया गया। तकरीबन 72 घंटे की जद्दो जहद के बाद उनके पार्थिव शरीर को भारत लाया जा सका ।
श्रीदेवी के व्यक्तित्व और उनके स्टारडम का जादू ऐसा था कि उद्योगपति अनिल अम्बानी ने अपना व्यक्तिगत विमान उनके पार्थिव शरीर को भारत लाने हेतु दुबई भेज दिया, वहीं उनके शव के भारत आते ही एयरपोर्ट से लेकर सेलिब्रेशन स्पोर्ट्स क्लब जहाँ उनका पार्थिव शरीर रखा था, उनके आखिरी दर्शन को न सिर्फ बॉलीवुड अपितु दक्षिण फिल्म जगत के सभी नामचीन कलाकार और आम जन का सैलाब उमड़ पड़ा लेकिन सोलह श्रृंगार के बाद जब उनको तिरंगे में लपेटकर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया तो सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे। कुछ लोगों ने खुले तौर पर तो कुछ नामचीन राजनीतिक व्यक्तित्व ने भी दबी जुबान में आश्चर्य व्यक्त किया कि आखिर श्रीदेवी को यह सम्मान क्यों दिया गया।
ऐसे में यह विश्लेषण की जरूरत है कि राजकीय सम्मान की प्रक्रिया क्या है ? राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार देश में किसे दिया जा सकता है ? यह निर्णय कौन और कैसे करता है ? क्या श्रीदेवी को यह सम्मान देना उचित था या अनुचित ?
राजकीय सम्मान , सम्मान की वह प्रक्रिया है जिसमंे मरणोपरांत अंतिम संस्कार का सारा कार्यभार राज्य सरकार संभालती है । शव को तिरंगे में लपेटा जाता है तथा सुपुर्द - ए - खाक करने से पहले बंदूक से सलामी दी जाती है।
पहले सिर्फ देश के पूर्व एवं वर्तमान प्रधानमंत्राी, राष्ट्रपति, केन्द्रीय मंत्राी को यह सम्मान प्राप्त होता था और केन्द्र सरकार अपने कैबिनेट मंत्रिमंडल के निर्णय अनुसार किसी को भी यह सम्मान दे सकती थी लेकिन बाद में इसमें संशोधन कर राज्य सरकारों को भी यह अधिकार दिया गया कि वे भी अपने केबिनेट मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार किसी भी व्यक्ति को यह सम्मान दे सकती है। आम तौर पर अब देश के वर्तमान एवं पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्राी और केन्द्रीय मंत्राी के अलावा यह सम्मान राजनीति, साहित्य, कानून, साइंस और कला के क्षेत्रा में अभूतपूर्व योगदान देने हेतु यह सम्मान दिया जा सकता है। देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न, पदम भूषण और पदम विभूषण प्राप्त व्यक्ति को भी यह सम्मान दिया जाता है।
राजकीय सम्मान की प्रक्रिया अनुसार केन्द्र सरकार या राज्य सरकार अपने कैबिनेट के मंत्रियों से मंत्राणा कर यह निर्णय लेते हैं। निर्णय लेने के पश्चात यह आदेश राज्य के डी जी पी और पुलिस कमिश्नर तक पहुँचा दिया जाता है। फिर इसकी सारी तैयारी उनके द्वारा ही संपादित होती है।
अब एक आखिरी सवाल कि श्रीदेवी को राजकीय सम्मान मिलना कितना वाजिब है तो श्रीदेवी ने हिंदी समेत तमिल , मलयालम , तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में कुल मिलाकर तकरीबन 300 फिल्मों में काम किया है। इसमंे कोई दो राय नहीं कि श्रीदेवी को बॉलीवुड की पहली अभिनेत्राी सुपर स्टार का तगमा हासिल है। अपनी फिल्मी करियर में उन्हें पांच बार फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ। 2013 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया । एक बेहद शानदार अदाकारा का फिल्म के क्षेत्रा में दिया गया यह योगदान अनुपम है तो उन्हें तिरंगे में लपेटकर राजकीय सम्मान का मिलना देश के जन भावना और श्रीदेवी के प्रति उनका आपार स्नेह को देखते हुए सरकार का लिया उचित निर्णय है ।
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