दिलेर समाचार, प्रदेश में निर्वाचन विभाग आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मौजूदा मतदाताओं के हिसाब से ही मतदान केंद्रों का पुनर्गठन करेगा। इसके अनुसार प्रदेश में 55 हजार की बजाय 52 हजार मतदान केन्द्र ही होंगे। इन 52 हजार में भी दो हजार मतदान केंद्र भी बढ़े हुए हैं, क्योंकि नए मतदान केन्द्र बनाने के प्रस्तावों में जिला निर्वाचन अधिकारी अपने-अपने जिलों में मौजूद मतदान केन्द्रों के पुनर्गठन के हिसाब से भेज रहे हैं। वहीं मतदान केंद्रों के पुनर्गठन की प्रक्रिया उपचुनाव तक अजमेर लोकसभा और भीलवाड़ा के मांडल विधानसभा क्षेत्र में रोक दी गई है।
निर्वाचन विभाग ने पिछले महीने ही बीते विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश की बढ़ी हुई जनसंख्या और मतदाताओं की बढ़ी हुई संख्या के आधार पर पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन जैसे जैसे यह प्रक्रिया शुरू हुई तो निर्वाचन विभाग ने अपने आंकलन में माना कि अभी प्रदेश में 4 करोड़ 67 लाख मतदाता है। इस हिसाब से एक हजार मतदाताओं पर एक मतदान केन्द्र की आवश्यकता है और इस हिसाब से 46 हजार 700 मतदान केन्द्रों की ही आवश्यकता है। जबकि मौजूदा समय में प्रदेश में 49 हजार 954 मतदान केन्द्र पहले से ही है।
अब निर्वाचन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पुनर्गठन की प्रक्रिया में मतदान केन्द्रों की संख्या 55 हजार तक जा सकती है लेकिन निर्वाचन विभाग इनमें से तीन हजार मतदान केन्द्र कम करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि बहुत ही जरूरी होने पर नए मतदान केन्द्र बनाने के प्रस्ताव भेजे जाए। क्योंकि कई मतदान केन्द्रों पर तय मापदंडों के हिसाब से मतदाता हैं तो कई पर तय मापदंड से बेहद कम मतदाता है।
होता है मोटा खर्चा
अधिकारियों के अनुसार एक नया मतदान केन्द्र बनाने से लेकर चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक विभाग को काफी मोटा खर्चा करना होता है। जिसमें बीएलओ के मानदेय से लेकर मतदान के दिन तक की व्यवस्थाओं का खर्चा शामिल है। ऐसे में नए मतदान केन्द्रों को विभाग खर्च का अनावश्यक बोझ भी मान रहा है।
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