दिलेर समाचार, नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण (Coronavirus) से अमेरिका (US), भारत (India), ब्राजील (Brazil) और दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में कोहराम मचाया हुआ है. दुनिया भर में संक्रमण (Covid-19) के करीब 1.5 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 6 लाख से ज्यादा लोग इससे अपनी जान गंवा चुके हैं. दुनिया भर में फिलहाल मोटे तौर पर कोरोना वायरस की 23 वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) के क्लीनिकल ट्रायल हो रहे हैं, यानी कि ये वैक्सीन मानव परीक्षण के फेज में पहुंच चुकी हैं. इनमें से करीब चार वैक्सीन ऐसी हैं जो कि ह्यूमन ट्रायल के पहले और दूसरे चरण में सफल रही हैं.
बता दें कि भारत में भी कोवैक्सीन नाम की वैक्सीन का ट्रायल शुरू होने जा रहा है और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (AIIMS) में सोमवार से ही यह ट्रायल शुरू हो गया है. भारत में कोरोना की वैक्सीन बनाने की दिशा में भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड और जायडस कैडिला सबसे आगे हैं. दुनिया भर में फ़िलहाल ये 4 वैक्सीन सबसे आगे हैं-
1. ऑक्सफोर्ड
यूरोप समेत दुनिया में कोरोना वैक्सीन का पहला ट्रायल ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड में शुरू हुआ था और अप्रैल महीने में ही यहां कोरोना वायरस संक्रमण की वैक्सीन के लिए इंसानों पर परीक्षण शुरू हो गया था. सोमवार को इस वैक्सीन को बना रहे वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि ये कोरोना वायरस टीका सुरक्षित है और शरीर के भीतर एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्पन्न करता है. इस टेस्ट के पहले चरण में अप्रैल और मई में ब्रिटेन के पांच अस्पतालों में 18 से 55 साल उम्र के 1,077 स्वस्थ वयस्कों को टीके की खुराक दी गई थी, जिसके नतीजे काफी आशाजनक हैं. परिणाम बताते हैं कि जिनको टीके लगाए गए, उनमें 56 दिनों तक मजबूत एंटीबॉडी और टी-सेल प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं उत्पन्न हुईं.
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह पता लगाना बहुत जल्दबाजी होगी कि क्या यह सुरक्षा प्रदान करने में पूरी तरह से सक्षम है, क्योंकि बड़े स्तर पर अभी भी परीक्षण चल रहे हैं. शुरुआती चरण के लिए यहां 800 लोगों को बतौर वॉलेंटियर चुना गया था. ये टीका ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने तैयार की थी. जेनर इंस्टीट्यूट में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफ़ेसर सारा गिल्बर्ट इस टीम का नेतृत्व कर रही हैं. दावा है कि ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन का पहला ह्यूमन ट्रायल क़ामयाब रहा है. अगर आगे भी सबकुछ ठीक रहता है, तो संभव है कि बहुत जल्दी ही कोरोना वायरस की एक कारगर वैक्सीन तैयार कर ली जाएगी.
2. अमेरिका
अमेरिकी दवा कंपनी मोडेरना इंक (Moderna ), नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ़ हेल्थ और कोरोना एक्सपर्ट डॉक्टर एंथनी फॉसी (Dr. Anthony Fauci) की टीम द्वारा विकसित की जा रही कोरोना वायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) अपने पहले टेस्ट में पास हो गयी है. फॉसी ने बताया कि पहले टेस्ट में कोविड-19 वैक्सीन से लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को वैसा ही फ़ायदा पहुंचा है, जैसी उम्मीद हम लोगों ने की थी. फॉसी ने कहा कि ये बेहद अच्छी खबर है और अब स्पष्ट कहा जा सकता है कि जल्द ही लोगों के पास एक वैक्सीन होगी. 27 जुलाई से इस वैक्सीन का 30 हज़ार लोगों पर परीक्षण किया जाएगा और पता किया जाएगा कि क्या ये वैक्सीन वाक़ई कोविड-19 से मानव शरीर को बचा सकती है.
3. रूस
क़रीब एक हफ़्ते पहले रूस ने यह दावा किया था कि 'उनके वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना ली है.' रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने अनुसार, इंस्टिट्यूट फोर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव ने कहा है कि "दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है." उन्होंने बताया कि मॉस्को स्थित सरकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी से चेनोफ़ने ये ट्रायल किए और पाया कि ये वैक्सीन इंसानों पर सुरक्षित है. जिन लोगों पर वैक्सीन आज़माई गई है, उनके एक समूह को 15 जुलाई और दूसरे समूह को 20 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी. यूनिवर्सिटी ने 18 जून को रूस के गेमली इंस्टिट्यूट ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा निर्मित इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल शुरू किए थे.
हालांकि ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर (एनसीएससी) ने कहा है कि रूस के हैकर्स उन संगठनों को निशाना बना रहे हैं, जो कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. एनसीएससी का दावा है कि हैकर्स अपना काम निश्चित रूप से रूसी ख़ुफ़िया सेवा के हिस्से के रूप में कर रहे हैं और कोविड-19की वैक्सीन से जुड़ी जानकारियां चुराने की कोशिश कर रहे हैं. ब्रिटेन के अलावा अमेरिका ने भी आरोप लगाया है कि रूस के हैकरों ने वैक्सीन से जुड़े रिसर्च को चोरी करने की कोशिश की है.
4. चीन
बता दें कि चीन ने मई महीने में ही साल के अंत तक वैक्सीन ईजाद कर लेने का दावा किया था. चीन के एसेट्स सुपरविज़न एंड एडमिनिस्ट्रेशन कमिशन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि चीन में बनी कोरोना वायरस की वैक्सीन इस साल के अंत तक वितरण के लिए मार्केट में आ सकती है. वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और बीजिंग इंस्टिट्यूटऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्टस की ओर से तैयार की गई वैक्सीन का ट्रायल 2000 लोगों पर करने का दावा किया गया था. हालांकि अभी तक किसी प्रमाणिक वैक्सीन को ईजाद कर लेने की जानकारी चीन से भी नहीं है. लेकिन बांग्लादेश ने चीन के सिनोवेक वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को मंज़ूरी दे दी है.
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