वैसे तो स्कूली पाठ्यक्रम में 'सेक्स एजुकेशन' और 'रिप्रोडक्टिव सिस्टम' जैसे टॉपिक्स को शामिल किया जाता है, लेकिन हमारे टीचर्स ही उसे पढ़ाने में झिझकते हैं। और उस उम्र के लिए जरूरी ज्ञान हमे मिल नहीं पाता है। फिर आजकल इन्टरनेट पर सबकुछ उपलब्ध है, इसलिए बंदा वहाँ जाकर जानकारी हासिल करने की कोशिश करता है, जो हमेशा ही सही नहीं होती है।
अपने शरीर, उसकी फंक्शनेलिटी और उसकी जरूरतों को समझना गलत बात नहीं होती है। बल्कि यह आपको कई मुसीबतों, गलतियों और बीमारियों से बचाता है और खुद को बेहतर ढंग से समझने का मौका देता है।
इन्टरनेट पर तो वैसे भी सबकुछ उपलब्ध है और इन्टरनेट की मदद से 'सेक्स एजुकेशन' लेने में कुछ गलत भी नहीं है। लेकिन इसके लिए इंसान का समझदार होना भी जरुरी है। युवाओं का तो फिर भी ठीक है, लेकिन टीनएज के बच्चे अपनी नादानी में कुछ भी गलत सीख सकते हैं।
इन्टरनेट पर जानकारी एक जनरल बेसिस पर दी जाती है। लेकिन सभी के शरीर और जरूरतें औरों से अलग होते हैं। इसलिए जरुरी नहीं कि सभी बातें आप पर भी लागू हो।
आजकल कई एक्सपर्ट ऑनलाइन भी सलाह देते हैं। लेकिन कई दफ़ा हम अपनी समस्या बताने में शर्माते हैं और पूरी बात नहीं कह पाते हैं। इसमें हमारा ही नुकसान होता है। हमारे शरीर और उसकी समस्याओं को हम ही बेहतर तरीके से जानते हैं, इसलिए खुलकर बोलें और समस्या का सही समाधान पाएं।
इन्टरनेट पर आपको एक सवाल के हजारों जवाब मिलेंगे। इसलिए किसी एक जवाब को पढ़कर संतुष्ट ना हों। कुछ अन्य वेबसाइट्स से भी जानकारी लें, आपको इसकी वैधता का पता चल जाएगा।
इन्टरनेट सही विकल्प तो है, पर बेहतर यही है कि आप अपने बड़ों या किसी समझदार इंसान से 'सेक्स एजुकेशन' लें। पेरेंट्स के लिए भी जरूरी है कि वो ध्यान रखें कि उनके बच्चों को 'सेक्स एजुकेशन' के लिए इन्टरनेट की जरूरत कम ही पड़े।
ये भी पढ़े: इन कारणों से आपकी आंखें बंद हो जाती है छींकते वक्त
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar