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मोदी ने ‘‘मन की बात’’ में कहा कि पौधों को लगा देना काफी नहीं है बल्कि लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह उस पौधे के पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करें.
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उन्होंने कहा , ‘पिछले कुछ हफ़्तों में हम सभी ने देखा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में धूल-आंधी चली. तेज़ हवाओं के साथ-साथ भारी वर्षा भी हुई जो कि बेमौसम है. जान-हानि भी हुई, माल-हानि भी हुई. यह सब, मूलतः मौसम के स्वरूप में बदलाव का नतीजा है. हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा ने हमें प्रकृति के साथ संघर्ष करना नहीं सिखाया है. हमें प्रकृति के साथ सदभाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़ कर रहना है.'
रेडियो पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा , ‘जब भीषण गर्मी होती है, बाढ़ आती है, बारिश थमती नहीं है, असहनीय ठंड पड़ती है तो हर कोई विशेषज्ञ बन करके ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन की बातें करता है लेकिन बातें करने से बात बनती है क्या? प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना,प्रकृति की रक्षा करना, यह हमारा सहज स्वभाव होना चाहिए, हमारे संस्कारों में होना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि इस साल भारत आधिकारिक तौर पर विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी करके गौरवान्वित महसूस कर रहा है. यह भारत के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह इस बात का परिचायक है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में विश्व में भारत के बढ़ते नेतृत्व को भी स्वीकृति मिल रही है.
मोदी ने कहा , ‘इस बार की थीम है ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराना (बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन)’ मेरी आप सभी से अपील है कि इस थीम के भाव को,इसके महत्व को समझते हुए हम सब यह सुनिश्चित करें कि हम पॉलीथीन, लो ग्रेड या घटिया प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें. प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने की कोशिश करें क्योंकि इससे हमारी प्रकृति पर, वन्यजीवन पर और हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है.’
उन्होंने कहा , ‘हमें प्रकृति के साथ सदभाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़के रहना है. महात्मा गांधी ने तो जीवन भर इस बात की वकालत की थी. जब आज भारत जलवायु न्याय की बात करता है, जब भारत ने सीओपी 21 और पेरिस समझौते में प्रमुख भूमिका निभाई, जब हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से पूरी दुनिया को एकजुट किया तो इन सबके मूल में महात्मा गांधी के उस सपने को पूरा करने का एक भाव था.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पर्यावरण दिवस पर हम सब इस बारे में सोचें कि हम अपनी धरती को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए क्या कर सकते हैं? किस तरह इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं ? नया कर सकते हैं ?
उन्होंने 21 जून को आने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का भी जिक्र किया.
मोदी ने एक श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि नियमित योग अभ्यास करने पर कुछ अच्छे गुण सगे-सम्बन्धियों और मित्रों की तरह हो जाते हैं. योग करने से साहस पैदा होता है जो सदा ही पिता की तरह हमारी रक्षा करता है. क्षमा का भाव उत्पन्न होता है जैसा मां का अपने बच्चों के लिए होता है और मानसिक शांति हमारी स्थायी मित्र बन जाती है. प्रधानमंत्री ने जनता से अपील की कि वह योग की अपनी विरासत को आगे बढ़ायें और एक स्वस्थ, खुशहाल और सद्भावपूर्ण राष्ट्र का निर्माण करें.
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