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वृद्धा भूरी बाई कोटा में करीब साल भर पहले लावारिस अवस्था में मिली थी। पुलिस सीएलजी सदस्य मनोज जैन आदिनाथ को पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि एरोड्रम चौराहे के पास बीच सड़क पर एक लावारिस वृद्धा पड़ी हुई है। पुलिस की मदद से बुजुर्ग महिला को अपना घर आश्रम में रखा गया। यहां 8 माह तक लगातार उसकी काउंसलिंग और उपचार किया गया तो महिला की याददाश्त लौट आई।
हाल ही में 22 दिसम्बर को वृद्धा ने अपना नाम भूरी बाई निवासी निमोदा खुर्द उज्जैन, मध्यप्रदेश बताया। संस्था ने निमोदा खुर्द पुलिस से सम्पर्क किया। वहां की पुलिस ने भूरी बाई के घर संपर्क किया तो बेटा लक्ष्मण रिटायर्ड तहसीलदार निकला। भूरी बाई के सेवानिवृत्त तहसीलदार बेटे लक्ष्मण से जब पूछा गया तो उसने बताया कि भूरी बाई की तो मृत्यु हो चुकी है। लेकिन जब पुलिस ने व्हाट्सएप पर फोटो भेजी तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान बेटा फफक के रो पड़ा। उसे सूचना दी गई की आपकी मां जिन्दा हैं और सही सलामत कोटा के एक वृद्धाश्रम में है, तो बेटा तुरंत कोटा के लिए रवाना हुआ।
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मंगलवार को बेटा अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ कोटा स्थित उस आश्रम पहुंचा जहां उसकी मां को रखा गया। उसने बताया कि मेरी मां को मैंने जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ढूंढा। अंत में मरा मानकर लोगों को मृत्यु भोज तक करा दिया, लेकिन आज उसकी मां उसे मिल गई। लक्ष्मण ने कहा कि मां दो साल पहले बिना बताए घर से निकल गई थी, जिसे आज पाकर मानो जन्नत मिल गई।
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