दिलेर समाचार, 1992 में आई फिल्म ‘विश्वात्मा’ से बॉलीवुड डेब्यू करने वाली दिव्या भारती की ये गुत्थी आजतक सुलझ नहीं पाई है कि दिव्या की मौत हत्या थी या आत्महत्या। साल 1993 दिव्या की जिंदगी का अंतिम साल था। 5 अप्रेल 1993 को अंतिम सांस लेने वाली दिव्या ने सुहागन ही दम तोड़ा क्योंकि उससे ठीक एक साल पहले ही तो उनकी शादी हुई थी।
दिव्या भारती जब फिल्म ‘शोला और शबनम’ की शूटिंग कर रही थीं तब फिल्म के हीरो गोविंदा ने उन्हें निर्देशक-निर्माता साजिद नाडियाडवाला से मिलवाया था। दोनों में प्यार हुआ और शादी करने का फैसला कर लिया। दिव्या ने इस्लाम धर्म कबूला और 10 मई 1992 को शादी कर ली। कुछ का तो ये तक कहना था कि दिव्या की आक्समिक मौत के पीछे साजिद का हाथ था!
क्या हुआ था 5 अप्रेल की रात
दिव्या की अचानक हुई मौत के पीछे कई अटकलें लगाई गई। कईयों ने इसे आत्महत्या बताया, कुछ ने एक्सीडेंट तो कुछ ने पति को जिम्मेदार बताया। एक वजह ये भी बताई गई कि साजिद के अंडरवर्ल्ड से रिश्ते होने की बात से दिव्या परेशान रहती थीं। रिश्तों से हार चुकी दिव्या ने मौत को ही आखिरी रास्ता चुना।
पांच साल तक की इंवेस्टीगेशन के बाद भी पुलिस किसी नजीते पर नहीं पहुंच पाई और 1998 में ये केस बंद कर दिया गया।पुलिस को कोई ठोस वजह न मिलने के कारण, पुलिस ने रिपोर्ट में नशे में बालकनी से गिरने को ही कारण बताया।
मौत के चंद घंटे पहले तक बेहद खुश थी दिव्या
हैरानी की बात तो ये रही कि अपनी मौत वाले दिन ही दिव्या ने मुंबई में अपने लिए नया 4 BHK का घर खरीदा था और डील फाइनल की थी। दिव्या ने ये खुशखबरी अपने भाई कुणाल को भी दी थी। दिव्या उसी दिन शूटिंग खत्म कर के चेन्नई से लौटी थीं। उनके पैर में भी चोट लगी हुई थी।
रात के करीब 10 बजे होंगे जब मुंबई के पश्चिम अंधेरी, वरसोवा में स्थित तुलसी अपार्टमेंट के पांचवें माले पर उनके घर में उनकी दोस्त और डिजाइनर नीता लुल्ला अपने पति के साथ उनसे मिलने आई हुई थीं। तीनो लिविंग रूम में बैठे बातें बना रहे थे साथ ही शराब भी पी रहे थे। दिव्या की नौकरानी अमृता भी बातचीत में हिस्सा ले रही थी।
रात के करीब 11 बज रहे थे। अमृता किचन में कुछ काम करने गई, नीता अपने पति के साथ टीवी देखने में व्यस्त थीं। इसी वक्त दिव्या कमरे की खिड़की की तरफ गईं और वहीं से तेज आवाज में अपनी नौकरानी से भी बातें कर रही थीं।
दिव्या के लिविंग रूम में कोई बालकनी नहीं थी लेकिन एक ऐसी खिड़की थी जिसमें ग्रिल नहीं थी। उसी खिड़की के नीचे पार्किंग की जगह थी जहां अक्सर खई गाड़ियां खड़ी रहती थीं। उसी दिन वहां कोई गाड़ी नहीं खड़ी थी। खिड़की पर खड़ी दिव्या मुड़ कर सही से खड़े होने की कोशिश कर रही थीं कि तभी उनका पैर फिसल गया। दिव्या सीधे नीचे जमीन पर गिरीं।पांचवे माले से गिरने के कारण दिव्या पूरी तरह खून में लतपत हो गई और अस्पताल के एमर्जेंसी वार्ड में दिव्या ने अन्तिम सांस ली।
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