दिलेर समाचार, नई दिल्ली: दिल्ली में सीलिंग करने और अतिक्रमण हटाने के लिए गठित मॉनिटरिंग कमेटी का हथौड़ा पहले अवैध कोठियों पर और गुरुवार को झुग्गियों पर चला...सरकारी विभागों को बदरपुर-गुड़गांव रोड के किनारे कब्जा की गई सैकड़ों बीघे जमीन की याद तब आई जब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई. सभी पचास से साठ झुग्गियां तोड़ दी गईं, केवल मंदिर बचा है.
कुतुबमीनार की हेरीटेज साइट से सटी इस जमीन पर पहले मंदिर बना, फिर लोग आबाद होते चले गए. पच्चीस साल बाद मॉनिटरिंग कमेटी की देखरेख में इन झुग्गियों को तोड़ दिया गया. यह कार्रवाई आज सुबह की गई.
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद अब डीडीए को याद आया कि उसकी क्या जिम्मेदारी है. 'अवैध कब्जा करने पर दंड दिया जा सकता है,' यह बात एक बोर्ड पर लिखी है जिसे यहां पच्चीस साल बाद लगा दिया गया है.
इसी गुड़गांव-बदरपुर रोड के किनारे की इस जमीन पर 25 साल से शीतला प्रसाद नर्सरी चला रहे थे. बुलडोजर चलने के बाद अब वे भी पौधों को दूसरी जगह ले जा रहे हैं. शीतला प्रसाद ने कहा कि ''मैं पच्चीस सालों से यहां नर्सरी चलाता था सुप्रीम कोर्ट से केस भी जीत चुका हूं लेकिन उसके बावजूद सारे पौधे उठा ले गए.''
इससे पहले 18 मार्च को मॉनिटरिंग कमेटी ने असोला गांव की करीब साढ़े चार सौ बीघा जमीन पर रसूखदार लोगों के फार्म हाउस पर हथौड़ा चलाया था. यहां कई धार्मिक संगठनों ने जंगल विभाग की जमीन पर कब्जा कर रखा था.
जानकार बताते हैं कि दक्षिणी दिल्ली की दस से बारह हजार करोड़ रुपये की जमीन पर अधिकारियों से सांठगांठ करके रसूखदार लोगों ने कब्जा कर रखा है. यह कब्जा सरकारी जमीन से लेकर हेरीटेज पार्क तक पर है. दक्षिणी दिल्ली के संयोजक सुमेर सिंह ने कहा कि ''दिल्ली में लोग जहां इंच-इंच जमीन को तरस रहे हैं वहीं रसूखदार लोग अधिकारियों से सांठगांठ करके करोड़ों रुपये की जमीन हड़प चुके हैं.''
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