दिलेर समाचार, अभी कल ही जब पापा शाम को घर के अंदर ही जूते पहनकर आ गए तो मैंने उन्हें बोला कि जूते तो बाहर उतारकर आओ। ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें ये आदत होती है। लेकिन हम भारतीयों के घरों में अन्य कई परम्पराओं की तरह प्राचीनकाल से ही जूतों-चप्पलों को घर से बाहर निकालने की परंपरा रही है। हमारे यहाँ जूते-चप्पल बाहर निकालने की यह सीख बचपन में ही दे दी जाती है और बड़े होते-होते हमे इसकी आदत हो जाती है।
लेकिन हर रोज यह काम करते-करते आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा किया क्यों जाता है? अगर आप सिर्फ आदत की वजह से या परंपरा की वजह से ऐसा कर रहे हैं तो आपको बता दूँ कि जूते-चप्पल बाहर निकालने के पीछे वैज्ञानिक कारण छुपा हुआ है। आखिर क्या हैं वो कारण, आइये जानते हैं।
जब हमारे यहाँ कोई मेहमान आता है या हम किसी के यहाँ जाते हैं तब भी घर के बाहर या बरामदे में चप्पल-जूते उतारना शिष्टाचार माना जाता है।
जब कई जोड़ी जूतों की जाँच की गई तो लगभग 96% जूतों में कोलीफॉर्म नामक बैक्टीरिया पाया गया। यह बैक्टीरिया मनुष्यों और गर्म खून वाले जानवरों के मल में पाया जाता हैं।
इस बैक्टीरिया के अलावा जूतों में ई कोलाई, क्लेबसिएला निमोनिया, सोराटिया फिकारिका जैसे 6 और भी बैक्टीरिया पाए जाते हैं।
इस बैक्टीरिया से मूत्रमार्ग में संक्रमण और श्वसन संक्रमण जैसे कई अन्य संक्रमण भी होते हैं।
अब तो आपको इसके पीछे का विज्ञान भी पता चल गया है। तो मैं उम्मीद करती हूँ कि जो लोग घर के अंदर भी जूते पहनकर पहुंच जाते हैं अब भूलकर भी ऐसा नहीं करेंगे।
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