दिलेर समाचार, विवाह भले ही इस लोक में हों किन्तु शादियां तो दूसरे ही लोक में तय होती हैं। विवाह समान आयु वर्ग में हो तो ठीक वरना असमान आयु वर्ग वाला विवाह तो बेमेल ही होता है।
साठा सो पाठा, और न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बन्धन वाली पंक्तियों को सार्थकता का जामा पहनाते हुए जब कोई महिला या पुरुष विवाह के बंधन में बंधकर असमान आयु वर्ग के जीवन साथी को अपनाता है तो चर्चा होना तो स्वाभाविक ही है।
कुआलालम्पुर की एक ऐसी ही घटना 3 मई को अखबारों की सुर्खियां बनी जिसमें एक 33 वर्षीय दूल्हे ने 104 वर्ष की दुल्हन से शादी की। यह भी उल्लेखनीय रहा कि महिला की यह 21 वीं शादी थी। उत्तरी मलेशिया के सैनिक नूर चे मूसा ने वुक कुदूंर नाम की अपने से साढ़े तीन गुनी आयु वाली महिला से शादी कर ली। मामला दिल का जो ठहरा। ऐसी ही कुछ और बेमेल व एक से ज्यादा बार दूल्हा-दुल्हन बनने वालों की चर्चा इस आलेख में की जा रही है।
उ.प्र. बिजनौर के कस्साबान मुहल्ले के एक 70 वर्षीय व्यक्ति का पिछले दिनों एक 30 वर्षीय दुल्हन से निकाह हुआ। मजे की बात यह कि यह निकाह वृद्ध के दामाद ने तय कराया था। इसी तरह जनवरी में किरतपुर के एक पैंसठ साल के ठेकेदार की 18 साल की लड़की से शादी चर्चा का विषय बनी थी। शादी में ठेकेदार की तरफ से सिर्फ उसका भाई ही शामिल हुआ था।
एक बड़ी उम्र वाली शादी तो ऐसी हुई जिसमें दूल्हा-दुल्हन के नाती-पोते खूब नाचे और धमाल किया। यह शादी अक्टूबर 03 में बस्ती में हुई थी। सत्तर साल की विधवा नूरजहां का विवाह 40 साल के रमजान से हुआ, वह भी कोर्ट मैरिज, परिवारजनों के बीच। रमजान की पत्नी व एक बेटी तथा नूरजहां के दो पुत्रा व एक पुत्रावधू भी हैं।
जनवरी 05 में एक 80 वर्षीय व्यक्ति को जीवन में पहली बार दुल्हन नसीब हुई वह भी 70 वर्ष की बेवा। सादिक (80 वर्ष) जबलपुर (म.प्र.) से मुरादाबाद में पेंटर का काम करने आये। 80 साल यूं ही रहे और अब विवाह की इच्छा जाहिर की तो मिल गयी 70 साल की विधवा हलीमा। उम्र के लिहाज यह तो मेल वाली शादी थी किन्तु थी तो 60 पार की ही।
काठमाण्डू में अगस्त 2004 में एक 93 साल के रिटायर्ड गोरखा सैनिक मानलाल लामा ने 80 वर्ष की एक महिला से विवाह किया। ब्रिटिश और भारतीय सेना के रिटायर सैनिक लामा की पत्नी व पुत्रा गुजर चुके थे। एकाकी जीवन से ऊबकर लामा ने इस शादी का निर्णय लिया।
त्रिपुरा की एक अदालत में एक अनोखी शादी हुई थी जिसमें 93 साल के दर्शनानन्द व्याकरण तीर्थ ने 63 वर्षीया एक महिला से शादी रचायी थी। उड़ीसा के क्ंयोझर डाटहीड क्षेत्रा के गांव ओरली के उदयनाथ ने 82 वर्ष की उम्र में 92 वीं शादी की थी। इनमें कई तो विदेशी महिलाएं थी। गत मार्च 2005 में वह लकवाग्रस्त हुए और 7 अप्रैल 05 को उनकी मृत्यु हुई।
इसी कड़ी में सऊदी अरब के 65 वर्षीय सालेह अलसपारी का जिक्र भी बहुत जरूरी है। 64 वर्ष की उम्र तक वह 58 महिलाओं से शादी रचा चुका है। उसे अपनी पत्नियों के नाम तक याद नहीं। किसी को एक नहीं और किसी को कई-कई पत्नियां, कैसी लीला है।
आलेख की शुरूआत एक मलेशियाई शादी से हुई थी, अन्त भी इसी देश से करते हैं। 72 साल के उस्ताद कमरूद्दीन मोहम्मद ने अक्टूबर 2004 में अपनी 53वीं शादी फिर उसी महिला से की जो उसकी पहली पत्नी थी। इस पत्नी को उन्होंने 1958 में तलाक दे दिया था। जब वह पुनः पति पत्नी बने तो पत्नी 74 वर्ष की थी। कमरूद्दीन को पहली पत्नी फिर मिली। दुनियां गोल जो ठहरी।
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