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ओह तो इसलिए शराब नहीं बुझा पाती प्यास

Posted at: Aug 19 , 2017 by Dilersamachar 9800

प्यास लगने का मतलब होता हैं कि शरीर में पानी की कमी हो रही हैं। यह क्रिया दिमाग के द्वारा नियंत्रित होती हैं। शरीर में पानी कम होने से रक्त में पानी की कमी होने लगती हैं। जिससे रक्तदाब की समस्या भी सामने आती है। पेशाब और पसीने से पानी तो शरीर से कम होता ही रहता है, पानी की कमी से रक्त में अन्य पदार्थो की सांद्रता बढ़ जाती हैं या यो कहे कि रक्त गाढ़ा होने लगता हैंब ऐसा होने लगता हैं तो विशेष प्रकार की कोशिकाओं द्वारा, जो की मस्तिस्क क्षेत्र में स्थित होती हैं और “ओसमोरिसेप्टर” कहलाती हैं, सामान्य स्थिति लाने की दिशा में प्रयास किया जाता हैं। इससे लार ग्रन्थियां आदि अपना स्त्राव निकलना बंद कर देती हैं; जिससे मुह सूखने लगता हैं और हमें प्यास लगने लगती हैं। जब हम पानी पी लेते हैं, तो इस अवस्था में यही क्रिया विपरीत दिशा में कार्य करने लगती हैं और हमारी प्यास बुझ जाती हैं।लेकिन शराब तो अपने आप में ही ऐसा द्रव हैं, जो पानी को सोखती हैं, अतः शराब से पानी की पूर्ती के बजाय पानी की कमी और होने लगती हैं। इस स्थिति में शराब से प्यास बुझने की आशा नहीं की जा सकती। हाँ कुछ ऐल्कॉहॉल ऐसे जरूर होते हैं, जिनमे ऐल्कॉहॉल कम और पानी अधिक होता हैं, जैसे की बियर।अतः इनसे एक सीमा तक प्यास बुझने में सहायता मिल सकती हैं, परन्तु वास्तविकता यही हैं की प्यास बुझाने का साधन पानी ही हैं, ऐल्कॉहॉल नहीं। अतः प्यास पानी पीकर ही बुझाई जा सकती हैं।

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