दिलेर समाचार, पटना: बिहार में राजनीति या राजनीतिक बयानबाजी का कोई मौसम नहीं होता है. यहां के राजनीतिक दलों में हर दिन बयानबाजी का सिलसिला चलता ही रहता है. अपने बयानों के लिए मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से अपने बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने ऐलान किया है कि जो पार्टी उनके 34 संकल्पों को को अपने चुनावी मुद्दों में शामिल करेगी, उनकी पार्टी उसी के साथ चुनाव लड़ेगी. गया जिले के टनकुप्पा में संकल्प सभा को संबोधित करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि 'मेरे 34 संकल्पों को जो भी राजनैतिक दल अपने चुनावी मुद्दों में शामिल करेगा, हमारी पार्टी उसी के साथ चुनाव लड़ेगी. चाहे वो कोई भी पार्टी हो. उन्होंने कहा कि आने वाले चुनाव में अगर किसी पार्टी ने हमारे मुद्दे पर साथ नहीं दिया तो हम अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे.'
हालांकि, मांझी ने दो दिन पहले कहा था कि वो एनडीए के घटक हैं और आने वाले लोकसभा चुनाव में भी उनके साथ ही लड़ेंगे. मगर दो दिन बाद ही उन्होंने अपने सुर बदल लिए. उनके समर्थकों की मानें तो मांझी की नाराजगी के असल कारण हैं कि उनकी बातों को न नीतीश कुमार और न ही भाजपा का राज्य या केंद्रीय नेतृत्व नोटिस ले रहा है.
बताया जाता है कि नीतीश के एनडीए में आने से पहले भाजपा के नेता उनके घर मान-मनोव्बल करने पहुंच जाते थे. लेकिन नीतीश मंत्रिमंडल में मांझी के बेटे संतोष को शामिल करने का आग्रह भी नहीं माना गया. मगर भाजपा नेताओं का कहना है कि फिलहाल कोई चुनाव सर पर नहीं है कि मांझी की हर बात पर प्रतिक्रिया दी जाए. उनकी एक नहीं कई मांगें रहती हैं जिसे नज़रंदाज करना ज्यादा सस्ता विकल्प है. वहीं जनता दल यूनाइटेड के कुछ नेताओं का कहना है कि वो मांझी के बयानों पर प्रतिक्रिया देकर उनका राजनीतिक भाव नहीं बढ़ाना चाहते हैं. मगर भविष्य में अगर वो लालू यादव के साथ चले भी जाये तो राज्य में वोटों पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा.
ये भी पढ़े: बिहार : शराब तस्करों ने वाहन जांच के दौरान पुलिस जवान को कुचला, मौत
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar