दिलेर समाचार, आयुर्वेद की दृष्टि से औषधीय गुणों से भरपूर फल शरीफा अत्यंत ही लाभकारी है। इसे अनेकों नामों से पुकारा जाता है। संस्कृत में इसे वैदेहीवल्लभ और कृष्णबीज, हिंदी में शरीफा या सीताफल, बंगला में अता, लूना, मेहा, मराठी, गुजराती में सीताफल, फारसी में शरीफा व अंग्रेजी में कस्टर्ड एप्पल के नाम से जाना जाता है। वनस्पति शास्त्री में इसे स्क्वामोसा कहते हैं।
शरीफा एक लोकप्रिय फल है जिसे घरों में लगाया जा सकता है। इसका स्वादिष्ट व मीठाफल चाव से खाया जाता है। इसका पेड़ ज्यादा ऊंचा नहीं होता है। इसकी शाखाएं पत्तों से लदी रहती हैं। इन पत्तियों के बीच में ही फल अंगूर के गुच्छों की तरह लटकता दिखाई देता है।
शरीफा के फल की बाहरी सतह पर छोटी-छोटी गांठें सी होती हैं जिन्हें फल की आंखें भी कहा जाता है। जब फल पक जाता है तो आंखें खुल जाती हैं और ये पीले रंग की हो जाती हैं। इस फल का गूदा बहुत मीठा व स्वादिष्ट होता है। इसमें चीकू जैेसे अनेक बीज होते हैं।
औषधीय गुण होने के कारण शरीफा आयुर्वेद में तृप्तिजनक, रक्तजनक, शीतल,Ðदय कें लिए हितकारी, बलवर्धक, मांसवर्धक तथा दाह, रक्तपित्त वात को नष्ट करने वाला माना जाता है। शरीफा पौष्टिक, रक्त को बढ़ाने वाला, मांसपेशियों को दृढ़ करने वाला व वमन को शांत करने में भी सहायक होता है। इसके सेवन से गठान, कृमि, गुदा से कांच निकलना, प्रसूतिकष्ट, नारू, फोड़े, ज्वर तथा मिर्गी चिकित्सा में भी लाभ होता है। अनियमित माहवारी में भंी यह लाभप्रद होता है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में शरीफे के पेड़ की जड़ विरेचक मानी जाती है। फल मीठा उक्तवर्धक, उत्तेजक व कफ निस्सारक होता है। शरीफे का बीज गर्भघातक भी माना जाता है।
सीताफल के पेड़ की तीव्र अतिसार, मानसिक शक्ति की गिरावट, पीठ एवं रीढ़ संबंधी बीमारियों में चिकित्सा के काम आती है जबकि पेड़ की छाल संकोचक होने से अवसार से बहुउपयोगी हैं। पत्तों का प्रयोग पुलटिस बनाकर फोड़ा पकाने के काम आता है।
शरीफा के बीजों का तेल जंतुनाशक होता है। इसकी लकड़ी का उपयोग खेती के औजार व घरेलू कार्यों में होता है। इसके पत्तों और तने में एनोनाइन नामक कड़वा पदार्थ होता है जिसे पशु भी नहीं खाते हैं।
सीताफल का पेड़ यंू तो हर तरह की मिट्टी में लग जाता है किंतु मध्यम काली, चिकनी व रेतीली मिट्टी में आसानी से लग जाता है। जहां आर्द्रता अधिक पायी जाती है वहां यह तेजी से पनपता है। वर्षा ऋतु में इसे आसानी से बोया जा सकता है। सीताफल के पेड़ में फल जून-जुलाई में लगने शुरू हो जाते हैं जो सितंबर -अक्तूबर तक पक जाते हैं। यह पेड़ पांच छह वर्ष की आयु में फल देना शुरू कर देता है और 20 वर्ष तक फल आसानी से लगते रहते हैं। एक बड़े पेड़ में लगभग 70 से 100 तक फल लग जाते हैं।
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