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क्यों इस मौसम में बढ़ जाते हैं संक्रमण, वायरस और अन्य बीमारियां...

Posted at: Aug 8 , 2018 by Dilersamachar 9890

दिलेर समाचार, गर्मी में पेट से जुड़ी कई परेशानियां सामने आती हैं. जैसे-जैसे मौसम गर्म होता है, हमारी लाइफस्टाइल और खानपान की आदतें बदलने लगती हैं. मौसम के बढ़े हुए तापमान से न केवल हमें पसीना ज्यादा होता है, बल्कि इससे हमारी प्रतिरक्षा शक्ति भी कमजोर होती है. ऐसे में दूसरे किसी मौसम की तुलना में हमारे शरीर पर बैक्टिरिया और वायरस का अधिक आक्रमण होता है. हेल्थियंस की मेडीकल ऑफीसर डॉक्टर धृति वत्स बताती हैं कि दूसरे किसी मौसम की तुलना में गर्मी में खाना जल्दी खराब और होता है और बीमारी की वजह बनता है. उनका व चिकित्सकों का कहना है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, पेट के संक्रमण और अन्य परेशानियों के मामले करीब 45 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं. 

गर्मियों में पेट की परेशानियों के सबसे ज्यादा शिकार ऐसे बच्चे या युवा होते हैं जो भोजन से पहले अपने हाथों को सही से साफ नहीं करते या बाहर का खाना खाते हैं, जो अनचाहे ही संक्रमित हो सकता है.

पाचन से जुड़ी अनियमितताओं के कुछ लक्षण

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानी जठरांत्र से जुड़े किसी भी संक्रमण के गंभीर और सामान्य दोनों प्रकार के लक्षण निम्नलिखित हैं. लक्षण की तीव्रता और साथ ही लैब से कराई गई जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि किस वायरस से आपका पाचन तंत्र प्रभावित हुआ है.

1. पेट में सूजन
2. पेट में भारीपन
3. डकार
4 एसिडिटी
5. जी मिचलाना
6. सर्दी और खांसी के साथ बुखार 
7. दस्त 
8. उल्टी
9. डीहाइड्रेशन
10. त्वचा पर खुजली 
11. खून के साथ दस्त 
12. थकान
13. जीभ में कड़वाहट का अनुभव

पेट में संक्रमण के कारण 
गर्मियों के दौरान वातावरण के ऊंचे तापमान के चलते हमारे शरीर से बहुत ज्यादा पसीना निकलता है. पसीना निकलने के दौरान शरीर की ऊर्जा खर्च होती है और शरीर में मौजूद पानी की मात्रा भी कम हो जाती है. इससे शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति कमजोर होती है. मौसम की गर्मी बैक्टीरिया और वायरस को दोगुना तेजी से बढ़ने में मदद करती है. भोजन जल्दी खराब हो जाता है और उसे खाने से बैक्टीरिया हमारे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करते हैं और ऊपर बताए गए लक्षणों का कारण बनते हैं. गर्मियों में घर में बना हुआ बासी खाना भी इन संक्रमणों का कारण बन सकता है.

 

इस गर्मी में परेशान करने वाली पाचन से जुड़ी अनियमितताओं से बचकर रहें 

गैस्ट्रोएंटरिटिस यानी हैजा
यह हर उम्र में होने वाला सबसे आम संक्रमण है. उल्टी, खून के साथ दस्त, झाग के साथ दस्त और पेट में तेज दर्द इसके शुरूआती लक्षण हैं और शुरू में ही इलाज नहीं मिलने पर इससे डीहाइड्रेशन जैसी गंभीर स्थिति बन सकती है और कभी-कभी कमजोरी की वजह से बेहोशी भी आ सकती है. इसके लिए रोटावायरस जिम्मेदारी होता है, जो आमतौर पर बच्चों में होता है या नोरोवायरस इसकी वजह होता है, जिससे पेट में ऐंठन होती है.

जॉन्डिस यानी पीलिया
लिवर में होने वाला सबसे आम संक्रमण जिसमें जी मिचलाना, त्वचा पर खुजली, जीभ में कड़वाहट, चेहरे पर पीलापन और साथ में आंखों में पीलापन जैसे लक्षण होते हैं. हेपेटाइटिस ए का वायरस लिवर पर हमला करता है, जो ज्यादा पित्त का निर्माण करने लगता है. दूषित पानी या गंदा भोजन इस संक्रमण के मुख्य कारण होते हैं. संक्रमण पेट से शुरू होता है. अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव होता है, तो डॉक्टर से मिलिए क्योंकि इसमें चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत होती है. घरेलू स्तर पर पपीते को इसका बहुत बढ़िया उपचार माना जाता है. दो बार उबाला हुआ पानी ही पिएं.

टायफायड
थकान, कमजोरी, पेटदर्द, उल्टी और दस्त के साथ तेज बुखार, सिर में दर्द और कभी-कभी शरीर पर चकत्ते टायफायड बुखार के लक्षण होते हैं. यह पानी से होने वाली बीमारी है और आमतौर पर गर्मियों में होती है. यह सल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया की वजह से होता है. आप हर दो साल में इसका टीका भी लगवा सकते हैं. बच्चों को भी इससे बचाने के लिए शुरूआत में टीका लगाया जाता है. 

 

फूड पॉइजनिंग
यह एक खास तरह का संक्रमण है जो कम सफाई से रखे हुए दूषित भोजन को ग्रहण करने के 6 से 8 घंटे के बीच होता है. इसका पहला लक्षण है पेट में दर्द और दस्त के साथ उल्टी. फूड पॉइजनिंग आमतौर पर किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन गर्मी में खाना जल्दी खराब हो जाता है, इसलिए संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम
यह मुख्यरूप से संक्रमण नहीं बल्कि एक आम समस्या है, खासकर ऐसे लोगों के मामले में जिन्हें जंक फूड खाना बहुत पसंद है. ऐसे में व्यक्ति को कभी-कभी पेट में दर्द और सूजन और अक्सर कब्ज और डायरिया की परेशानी होती रहती है. गर्मी बढ़ने पर पसीना ज्यादा आता है. ऐसे में पानी ज्यादा पीना जरूरी हो जाता है. ऐसा नहीं होने से भी कब्ज की शिकायत संभव है.

कैसे रहें सुरक्षित
गर्मियों में बाहर के खाने से परहेज करें. घर से बाहर निकलते हुए अपने साथ पीने का पानी लेकर चलें. ताजा बना हुआ खाना खाएं. अगर खाना पहले से बनाकर रखा है तो खाने से पहले उसे उबाल लें या भून लें. नियमित रूप से हाथ धोना जरूरी है.

 

अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी दो लक्षण नजर आएं तो घर पर उबले हुए पानी में ओआरएस का घोल बनाकर और नारियल पानी आदि के रूप में खूब तरल पदार्थ लेना शुरू कर दें. पानी और नींबू के सेवन की मात्रा बढ़ाएं. जूस या कॉफी नहीं पिएं. घर पर पर्याप्त आराम लें और शरीर का तापमान सही बनाए रखें. अगर स्थिति बिगड़ती है, तो डॉक्टर से सलाह लें. अपने पेट की जांच कराएं.

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