राहुल राय गुप्ता
दिलेर समाचार, आज की औरत किसी की मोहताज नहीं है। वह पति के अत्याचार सहन नहीं कर सकती। स्थिति हद से गुजर जाने पर वह अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकती है और ऐसा होना भी चाहिए।
पुरूष अपने झूठे अह्म को लेकर औरत पर जुल्म करता रहे और औरत उसे अपना सब कुछ मानते हुए उसके हर सितम को बर्दाश्त करती रहे, यह कहां का न्याय है?
प्रकृति ने जो कुछ पुरूष को दिया है, वही सब कुछ एक औरत को भी हासिल है। आज ऐसा कौन-सा क्षेत्रा है जिसमें औरत ने अपनी सफलता के हस्ताक्षर न किए हों। औरत ने हर क्षेत्रा में नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
हर पुरूष पत्नी के रूप में एक रूपवती और गुणों से भरपूर औरत को पसंद करता है मगर कभी ऐसा चाहने वालों ने अपने अंदर झांक कर देखा है कि वे इसके काबिल भी हैं या नहीं। पत्नी को पैर की जूती समझने वाले उसे अपने पैर की जूती हरगिज नहीं बना पाते परंतु पत्नी की नजरों में गिर अवश्य जाते हैं।
ऐसे पति कभी अच्छे पति साबित नहीं हो पाते और पत्नी भी कभी भी ऐसे पति के समक्ष पूर्ण रूप से समर्पण नहीं कर पाती। दोनों के बीच एक खाई-सी बनी रहती है जो दांपत्य संबंधों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
विचारने योग्य तथ्य है कि एक शादीशुदा औरत को कितने फर्जों का निर्वाह करना पड़ता है। उसका दिन सुबह 6 या 7 बजे से शुरू हो जाता है और रात को 10-11 बजे तक वह पति की सेवा, बच्चों की देखभाल और घर के कामों को कुशलता से अंजाम देती है और अगर पत्नी नौकरीपेशा है तो उस पर दफ्तर की जिम्मेदारी भी बड़ी अह्म है।
यह सही है कि पति की भी ऐसी ही काफी जिम्मेदारियंा होती हैं और घर व बाहर की समस्याओं से भी उसे जूझना पड़ता है मगर यह कहां तक उचित है कि वह घर में आते ही पत्नी को हुक्म देना शुरू कर दे और अपनी दिन भर की समस्याओं के गुस्से का गुबार उस पर उतारना शुरू कर दंे।
आवश्यकता इस बात को समझने की है कि औरत या एक पत्नी गृहस्थी की गाड़ी में कितने फीसदी की हिस्सेदार है और उसके फर्ज व अधिकार क्या हैं? इसके अलावा इस बात को समझने की जरूरत है कि वह अपने फर्ज और अधिकार किस प्रकार निभाती है। उसके बाद ही एक पति को अधिकार है, अपनी पत्नी पर कुछ टिप्पणी करने का।
जो पति अपनी पत्नी को अपने से हीन समझकर उसकी उपेक्षा करते हैं, उन्हें न तो पत्नी का सम्मान मिल पाता है व न ही उसका प्यार। परिणामस्वरूप उनकी गृहस्थी की गाड़ी चलने की बजाय घिसटती रहती है व उम्र भर वे एक-दूसरे को अपना नहीं बना पाते।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए एक पति का कर्तव्य है कि वह पत्नी को भरपूर सम्मान दे और उसकी समस्याओं या परेशानियों के बारे में समय-समय पर उससे पूछकर सुलझाने में उसकी मदद करें। फिर देखिए, पत्नी आपको सर-आंखों पर कैसे बिठाती है।
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