दिलेर समाचार, कैंसर के संदर्भ में लोगों में कई तरह की भ्रांतियां व्याप्त हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम लोग बुनियादी बातों को भी नहीं जानते, जैसे वे हर गांठ को कैंसर मान लेने की भूल करते हैं। सच तो यह है कि मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अनेक प्रकार के कैंसरों की रोकथाम की जा सकती है और उनका सफलतापूर्वक इलाज भी किया जा सकता है। शरीर के किसी भी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को कैंसर कहा जाता है। कैंसर के अनेक प्रकार हैं। यह रोग शरीर के विभिन्न अंगों को अपनी चपेट में ले सकता है, जो किसी अंग विशेष से अन्य भागों में भी फैल सकता है। अगर शरीर में तेजी से बढऩे वाली कोई गांठ हैं, तो वह कैंसर हो सकती है। वहीं जो गांठ तेजी से नहीं बढ़ती, उसमें कैंसर होने की आशंका कम होती है।
जेनेटिक कारणों से भी कैंसर होता है। इसके अलावा अस्वास्थ्यकर जीवन-शैली और पर्यावरण संबंधी कारण भी कैंसर के लिए उत्तरदायी है। यह कहना है मुंबई के नानावती हॉस्पिटल के 'एच सी जी' कैंसर सेंटर में कार्यरत मेडिकल ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. आशीष जोशी का। उनके अनुसार जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें अन्य स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में फेफड़ों का कैंसर होने की आशंकाएं कहीं ज्यादा बढ़ जाती हैं। तंबाकू उत्पादों को चबाने वाले लोगों में मुंह का कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसी तरह जो लोग शराब का अत्यधिक सेवन करते हैं, उनमें लिवर या पाचन संस्थान (डाइजेस्टिव सिस्टम) से संबंधित या अन्य प्रकार के कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है।
वहीं एक्शन कैंसर हॉस्पिटल, नई दिल्ली के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. दिनेश सिंह कहते हैं कि शरीर में दो तरह के जीन्स होते हैं। पहला, कैंसर प्रमोटर जीन्स और दूसरा, कैंसर सप्रेशन जीन्स।
एक स्वस्थ व्यक्ति में इन दोनों जीन्स के मध्य संतुलन और तालमेल कायम रहता है, लेकिन अगर इन दोनों के मध्य संतुलन बिगड़ जाता है, तो कैंसर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। विभिन्न प्रकार के कैंसरों के लक्षण भी विभिन्न होते हैं। जैसे जो लोग भोजन नली के कैंसर से ग्रस्त होते हैं, उन्हें किसी भी वस्तु या तरल पदार्थ को निगलने में तकलीफ होती है। कहने का आशय यह है कि कैंसर ने जिस अंग या भाग को प्रभावित कर रखा है, उससे संबंधित कार्यप्रणाली बाधित होने लगती है।
-प्रकार के कैंसर की डायग्नोसिस व इलाज संभव है। दूसरे शब्दों में कहें तो साइबर नाइफ रेडियो सर्जरी का एक अत्यंत कारगर टारगेट सिस्टम है, जिसमें रोगी के शरीर के प्रभावित अंग पर सर्जरी किए बगैर कैंसर का इलाज संभव है। फिलवक्त साइबर नाइफ रेडियो सर्जरी मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, फेफड़ों, पैनक्रियास और किडनी के कैंसर के इलाज में सफल साबित हो रही है। डॉ. अशोक वैद के अनुसार निकट भविष्य में प्रोटॉन थेरेपी देश में उपलब्ध हो जाएगी। फिलहाल यह थेरेपी पाश्चात्य विकसित देशों में ही उपलब्ध है। इस थेरेपी के जरिये विकिरण ऊर्जा (रेडिएशन एनर्जी) कैंसरग्रस्त भाग में ही डिपॉजिट की जाती है। इसके परिणामस्वरूप कैंसरग्रस्त भाग के आसपास स्थित अन्य स्वस्थ सामान्य टिश्यू पूरी तरह से बचा लिये जाते हैं।
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